हिमाचल पुलिस प्रदेश के एक इंजीनियर विमल नेगी की आत्महत्या के मामले को सुलझाने में नाकाम रही। नाकाम इसलिए कि राज्य पुलिस के दो वरिष्ठ पुलिस अधिकारी जांच को लेकर आपस में उलझ गए। मामले की जांच कर रही एसआईटी के प्रमुख संजीव कुमार गांधी ने डीजीपी अतुल वर्मा पर आत्महत्या मामले पर मिसलीडिंग स्टेटस रिपोर्ट फाइल करने का आरोप लगाया । डीजीपी ने कंडक्ट रूल की अवलेहना का हवाला देकर एसपी के सस्पेंशन के आदेश निकाल दिए. लेकिन सरकार ने गृह सचिव, एसपी शिमला और डीजीपी सबको छुट्टी पर भेज दिया। इस प्रकरण ने एक बार फिर हिमाचल पुलिस की कारगुजारी पर सवाल खड़े कर दिए हैं क्योंकि पुलिस मामले को सुलझाने के बजाये उसे उल्टा उलझा दिया। मामला अब जांच के लिए सीबीआई को सौंपा जा चुका है। ये पहली बार नहीं है कि पुलिस की कारगुजारी पर सवाल खड़े हुए। 2017 के एक कस्टोडियल डेथ मामले में भी हिमाचल पुलिस की छीछालेदर हो चुकी है। 8 पुलिस वालों , जिनमें आईजी ज़हूर हैदर जैदी भी शामिल थे पर नकली सबूत तैयार करने , उनको सबमिट करने और फिर नष्ट करने के आरोप लगे। पिछले साल ही हिमाचल पुलिस कर्मचारियों पर मुख्यमंत्री के समोसे खाने का आरोप लगा था। ये सब कुछ अनुशासनहीनता है। विमल नेगी की आत्महत्या का मामला भी इसी कारण से उलझ गया।
हिमाचल प्रदेश में विमल नेगी आत्महत्या मामला सियासी और प्रशासनिक विवादों का केंद्र बन गया है, जिसमें एक पेन ड्राइव इस रहस्यमयी जांच का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है। विमल नेगी, हिमाचल प्रदेश पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (HPPCL) के मुख्य अभियंता, 10 मार्च, 2025 को शिमला से लापता हो गए। आठ दिन बाद, 18 मार्च को उनका शव बिलासपुर के भाखड़ा डैम के गोबिंद सागर झील में संदिग्ध परिस्थितियों में मिला। उनकी पत्नी, किरण नेगी, ने HPPCL के वरिष्ठ अधिकारियों—पूर्व प्रबंध निदेशक हरिकेश मीणा, निदेशक (इलेक्ट्रिकल) देशराज, और निदेशक (कार्मिक) शिवम प्रताप सिंह—पर मानसिक उत्पीड़न का आरोप लगाया, जिसके चलते विमल ने आत्महत्या की। इस मामले में पेन ड्राइव की भूमिका ने जांच को जटिल बना दिया, क्योंकि इसमें महत्वपूर्ण साक्ष्य होने का दावा किया गया। बीजेपी ने इसे भ्रष्टाचार और साक्ष्य नष्ट करने की साजिश का हिस्सा बताया, जबकि कांग्रेस ने इसे राजनीतिकरण का आरोप लगाया।
पेन ड्राइव का रहस्य क्या है ,किस डर से डिलीट किये सबूत
पेन ड्राइव विमल नेगी की जेब से 18 मार्च को उनके शव के साथ बरामद हुई। शिमला SP संजीव कुमार गांधी, जो विशेष जांच दल (SIT) का नेतृत्व कर रहे थे, ने दावा किया कि इस पेन ड्राइव में लगभग 14,000 पेज के डिजिटल दस्तावेज थे, जिनमें HPPCL में कार्यस्थल पर उत्पीड़न, भ्रष्टाचार, और विमल नेगी की मानसिक प्रताड़ना से जुड़े साक्ष्य शामिल थे। इनमें कथित तौर पर मीणा और अन्य अधिकारियों के ईमेल, आधिकारिक पत्र, और विमल के नोट्स थे, जो उनकी तनावग्रस्त मानसिक स्थिति को दर्शाते थे। किरण नेगी ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा कि यह डेटा उनके पति की आत्महत्या के कारणों को समझने के लिए महत्वपूर्ण है। हालांकि, पेन ड्राइव का डेटा शुरू में बिलासपुर के सहायक उप-निरीक्षक (ASI) पंकज द्वारा छिपाया गया और कथित तौर पर फॉर्मेट कर दिया गया, जिसने साक्ष्यों की विश्वसनीयता पर सवाल उठाए।
SP गांधी ने आरोप लगाया कि पेन ड्राइव का डेटा जानबूझकर हटाया गया ताकि जांच को भटकाया जाए। X पर पोस्ट के अनुसार, फॉरेंसिक जांच ने पुष्टि की कि डेटा हटाने का प्रयास किया गया था, लेकिन SIT ने इसे पुनर्प्राप्त कर लिया। गांधी ने DGP अतुल वर्मा पर जांच में हस्तक्षेप और गलत हलफनामे दाखिल करने का आरोप लगाया, दावा किया कि पुलिस मुख्यालय के वरिष्ठ अधिकारी इस साक्ष्य को दबाना चाहते थे। बीजेपी ने इसे प्रभावशाली लोगों को बचाने की साजिश बताया, विशेष रूप से HPPCL के अधिकारियों को, जिन पर भ्रष्टाचार के आरोप हैं। किरण नेगी के वकील आरके बावा ने कहा कि डेटा हटाने का प्रयास जांच की निष्पक्षता को कमजोर करने का हिस्सा था, क्योंकि इसमें उच्च अधिकारियों के खिलाफ सबूत थे।
पेन ड्राइव से रिट्रीव 1400 दस्तावेजों में क्या है
फॉरेंसिक जांच ने पुष्टि की कि पेन ड्राइव को फॉर्मेट करने का प्रयास हुआ था, लेकिन SP गांधी की SIT ने डेटा रिकवरी में सफलता हासिल की। X पर पोस्ट के अनुसार, रिकवर डेटा में 14,000 पेज के दस्तावेज शामिल हैं, जो अभी CBI की समीक्षा के अधीन हैं। फॉरेंसिक रिपोर्ट ने ASI पंकज को डेटा हटाने का आरोपी ठहराया, जिसे गांधी ने कोर्ट में पेश किया। हालांकि, डेटा की अखंडता पर सवाल बने हुए हैं, क्योंकि किरण नेगी के वकील ने दावा किया कि कुछ फाइलें अब भी पूरी तरह पुनर्प्राप्त नहीं हुईं। यह असंगति जांच की विश्वसनीयता पर सवाल उठाती है। CBI ने अब इस पेन ड्राइव की पूरी फॉरेंसिक जांच शुरू की है, जिसमें डेटा की प्रामाणिकता और हटाने के तरीके का विश्लेषण शामिल है।
साक्ष्य नष्ट करने का मकसद क्या था?
साक्ष्य नष्ट करने का कथित मकसद HPPCL के वरिष्ठ अधिकारियों और संभवतः सरकारी तंत्र में प्रभावशाली लोगों को बचाना था। बीजेपी ने दावा किया कि पेन ड्राइव में ऐसे सबूत थे जो न केवल कार्यस्थल पर उत्पीड़न बल्कि HPPCL में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार को उजागर कर सकते थे। जयराम ठाकुर ने कहा कि मुख्यमंत्री कार्यालय से जुड़े लोग इस मामले को दबाने की कोशिश कर रहे हैं। किरण नेगी ने आरोप लगाया कि उनके पति को छह महीने तक मानसिक रूप से प्रताड़ित किया गया, जिसमें देर रात तक काम करने का दबाव और गलत व्यवहार शामिल था। SP गांधी ने DGP वर्मा पर आरोप लगाया कि उन्होंने साक्ष्य नष्ट करने की कोशिश की ताकि SIT की जांच कमजोर हो। दूसरी ओर, कांग्रेस ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि यह बीजेपी का राजनीतिक हथकंडा है।
हाईकोर्ट ने 23 मई, 2025 को मामले को CBI को सौंपा, यह निर्देश देते हुए कि हिमाचल कैडर का कोई अधिकारी जांच में शामिल न हो। CBI ने 28 मई को FIR दर्ज की और पेन ड्राइव के डेटा की गहन जांच शुरू की। यह मामला न केवल विमल नेगी की मृत्यु के कारणों को उजागर करेगा, बल्कि हिमाचल के प्रशासनिक और सियासी तंत्र में जवाबदेही की कमी को भी सामने लाएगा। पेन ड्राइव का रहस्य अभी अनसुलझा है, लेकिन CBI जांच से सच्चाई सामने आने की उम्मीद है, जो परिवार को न्याय और इस सियासी विवाद पर विराम देगी।
बीजेपी का सियासी मकसद
बीजेपी का इस मामले को बार-बार उठाना 2026 विधानसभा चुनावों से पहले सियासी जमीन तैयार करने की रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है। हिमाचल में 2015 में बीजेपी छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए सुक्खू की सरकार को कमजोर करने के लिए बीजेपी भ्रष्टाचार और प्रशासनिक विफलता का नैरेटिव बना रही है। ठाकुर ने विधानसभा में चर्चा की मांग की, जिसे खारिज होने पर बीजेपी ने सदन से वॉकआउट किया। बीजेपी ने गवर्नर शिव प्रताप शुक्ला को ज्ञापन सौंपकर CBI जांच की मांग दोहराई, दावा किया कि सरकार ने परिवार की मांग को नजरअंदाज किया। यह कदम जनता में सरकार के खिलाफ असंतोष भड़काने का प्रयास हो सकता है, खासकर जब परिवार ने शव के साथ धरना दिया और न्याय की मांग की। बीजेपी का दावा है कि विमल नेगी को भ्रष्टाचार का विरोध करने की कीमत चुकानी पड़ी, जिससे वह सुक्खू सरकार को भ्रष्टाचार के मुद्दे पर घेर रही है।
भाजपा क्यों जिन्दा रखना चाहती है इस विवाद को
बीजेपी इस मामले को राजनीतिक पूंजी बनाने के लिए इस्तेमाल कर रही है। विमल नेगी की मृत्यु को “बलिदान” बताकर और परिवार की भावनाओं को उजागर कर बीजेपी जनता की सहानुभूति हासिल करने की कोशिश कर रही है। ठाकुर ने कहा कि नेगी की मृत्यु भ्रष्टाचार और प्रशासनिक दबाव से जुड़ी है, जिसे दबाने के लिए सरकार ने SIT जांच को गलत दिशा दी। X पर बीजेपी की पोस्ट्स में सुक्खू सरकार पर CBI जांच से डरने का आरोप लगाया गया, जिससे जनता में यह धारणा बन रही है कि सरकार कुछ छिपा रही है। यह रणनीति ग्रामीण और शहरी मतदाताओं, खासकर सरकारी कर्मचारियों और मध्यम वर्ग को प्रभावित कर सकती है, जो भ्रष्टाचार के मुद्दों पर संवेदनशील हैं।
कांग्रेस ने बीजेपी के आरोपों को खारिज करते हुए इसे त्रासदी का राजनीतिकरण बताया। मुख्यमंत्री सुक्खू ने कहा कि सरकार CBI जांच का समर्थन करती है, लेकिन हिमाचल कैडर के अधिकारियों को बाहर रखने के हाईकोर्ट के आदेश पर असहमति जताई। राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी ने दावा किया कि परिवार सरकार की कार्रवाई से संतुष्ट है, और बीजेपी केवल सियासी फायदा उठाने की कोशिश कर रही है। हालांकि, परिवार ने CBI जांच की मांग दोहराई, जिससे कांग्रेस की स्थिति कमजोर दिखी। पब्लिक वर्क्स मिनिस्टर विक्रमादित्य सिंह ने बीजेपी के गवर्नर को ज्ञापन सौंपने को अनुचित बताया।
बीजेपी का इस मामले को उठाना न केवल न्याय की मांग बल्कि एक सुनियोजित सियासी रणनीति है। भ्रष्टाचार और कवर-अप के आरोपों के जरिए वह सुक्खू सरकार की छवि को नुकसान पहुंचाकर 2026 चुनावों में राजनीतिक पूंजी बनाना चाहती है। पेन ड्राइव के साक्ष्य, जिसमें भ्रष्टाचार के सबूत होने का दावा है, इस विवाद को और गर्म कर रहे हैं। CBI जांच से सच्चाई सामने आ सकती है, लेकिन बीजेपी की आक्रामकता से स्पष्ट है कि वह इस मामले को सरकार के खिलाफ एक हथियार के रूप में इस्तेमाल कर रही है।