दैनिक भास्कर की एक हालिया रिपोर्ट ने बिहार में स्थायी निवास प्रमाण पत्र (Permanent Resident Certificate) की आसान उपलब्धता पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। इस रिपोर्ट के अनुसार, महज 800 रुपये में यह प्रमाण पत्र बनाया जा रहा है, जिसके जरिए अवैध बांग्लादेशी और रोहिंग्या प्रवासियों को भारतीय नागरिकता के दस्तावेज हासिल करने का रास्ता मिल रहा है। यह स्थिति न केवल बिहार बल्कि पूरे भारत के लिए एक गंभीर चुनौती बन गई है, क्योंकि इससे लाखों अवैध प्रवासियों को देश में प्रवेश करने और वैध निवासियों के हकों का लाभ उठाने का मौका मिल रहा है। यह रुझान भारत की आंतरिक सुरक्षा, आर्थिक संसाधनों और सामाजिक संतुलन पर गहरा प्रभाव डाल रहा है।
बिहार में स्थायी निवास प्रमाण पत्र का आसानी से उपलब्ध होना एक गंभीर उल्लंघन है, जो भ्रष्टाचार और प्रशासनिक लापरवाही को दर्शाता है। यह प्रमाण पत्र नौकरी, शिक्षा और सरकारी योजनाओं में लाभ के लिए आवश्यक होता है। जब यह अवैध प्रवासियों को मिल जाता है, तो वे न केवल सरकारी संसाधनों का उपयोग करते हैं, बल्कि वैध निवासियों के हक पर भी अतिक्रमण करते हैं। द इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार, केंद्रीय गृह मंत्रालय ने मई 2025 में राज्यों को 30 दिनों के भीतर संदिग्ध अवैध प्रवासियों की पहचान और निर्वासन की प्रक्रिया तेज करने के निर्देश दिए थे। इस दौरान गुजरात और राजस्थान जैसे राज्यों में अभियान चलाकर 6,500 से अधिक अवैध बांग्लादेशी प्रवासियों को हिरासत में लिया गया। बिहार में भी ऐसे अभियान चलाए गए, लेकिन 800 रुपये में प्रमाण पत्र बनने की खबर ने इस प्रक्रिया पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
विकिपीडिया के अनुसार, 1971 के बाद से भारत में अवैध बांग्लादेशी प्रवासियों की संख्या बढ़ती जा रही है। 1971 के युद्ध के दौरान करीब 1 करोड़ बांग्लादेशी, जिनमें से 80% हिंदू थे, भारत में शरण लेने आए थे। असम समझौते के तहत 24 दिसंबर, 1971 के बाद आए प्रवासियों को अवैध माना गया। आज भी त्रिपुरा और अन्य राज्यों के जरिए अवैध सीमा पार करना जारी है। अनुमान है कि भारत में 50,000 से 1,00,000 बर्मी चिन और 7,600 पाकिस्तानी अवैध प्रवासी रह रहे हैं। रोहिंग्या प्रवासियों की संख्या भी बढ़ रही है, जो म्यांमार में उत्पीड़न से बचने के लिए भारत में शरण ले रहे हैं। टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक, अवैध बांग्लादेशी प्रवासी मालदा, 24 परगना, मुर्शिदाबाद और दिनेशपुर जैसे क्षेत्रों से भारत में प्रवेश करते हैं और 2,000 से 10,000 रुपये में नकली आधार कार्ड हासिल कर लेते हैं।
इस तरह के उल्लंघन का असर भारत की आंतरिक सुरक्षा और अर्थव्यवस्था पर पड़ रहा है। अवैध प्रवासी न केवल सरकारी योजनाओं का लाभ उठाते हैं, बल्कि कम वेतन पर काम करने की उनकी इच्छा के कारण स्थानीय श्रमिकों के लिए रोजगार के अवसर कम हो रहे हैं। टाइम्स ऑफ इंडिया की एक अन्य रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली पुलिस ने मई 2025 में 47 बांग्लादेशी नागरिकों और पांच भारतीय सहयोगियों को गिरफ्तार किया, जो अवैध प्रवासियों को आधार और पैन कार्ड दिलाने में मदद कर रहे थे। इनमें से कई प्रवासी रैगपिकर, मजदूर और कम वेतन वाले कामगार के रूप में काम कर रहे थे। यह नेटवर्क नकली दस्तावेज तैयार करने और रसद का प्रबंधन करने में शामिल था, जिससे साफ है कि यह एक संगठित अपराध है।
अवैध प्रवासियों की मौजूदगी भारत की सुरक्षा के लिए भी खतरा है। कुछ रोहिंग्या प्रवासियों के चरमपंथी विचारधाराओं से प्रभावित होने की खबरें हैं, जो जम्मू, दिल्ली और मेवात जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में सक्रिय हो सकते हैं। गृह मंत्री अमित शाह ने फरवरी 2025 में कहा था कि अवैध प्रवासियों की पहचान और निर्वासन राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए जरूरी है। द हिंदू की एक रिपोर्ट के अनुसार, अगस्त 2024 से मार्च 2025 तक 906 बांग्लादेशी प्रवासियों को पकड़ा गया, जिनमें से 411 ने पिछले तीन महीनों में स्वेच्छा से देश छोड़ दिया। इस दौरान 153 अन्य राष्ट्रीयताओं, मुख्य रूप से म्यांमार के लोगों को भी बांग्लादेश सीमा पर पकड़ा गया।
बिहार में 800 रुपये में प्रमाण पत्र बनने की प्रथा से यह साफ है कि प्रशासनिक स्तर पर गंभीर खामियां हैं। यह न केवल स्थानीय निवासियों के अधिकारों का हनन करता है, बल्कि अवैध प्रवासियों को वोटिंग राइट्स और अन्य सुविधाएं हासिल करने का मौका देता है। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने हाल ही में कहा था कि अवैध बांग्लादेशी प्रवासी जन्म प्रमाण पत्र हासिल कर वोटिंग राइट्स प्राप्त कर रहे हैं, जिसे उन्होंने “वोट जिहाद पार्ट 2” करार दिया।
इस समस्या का समाधान कठोर कानूनी कार्रवाई और सख्त निगरानी से ही संभव है। सरकार को नकली दस्तावेज बनाने वाले नेटवर्क को तोड़ना होगा और स्थानीय प्रशासन में पारदर्शिता सुनिश्चित करनी होगी। बिहार में स्थायी निवास प्रमाण पत्र की प्रक्रिया को कड़ा करना और अवैध प्रवासियों की पहचान के लिए विशेष अभियान चलाना जरूरी है। यदि इस रुझान पर लगाम नहीं लगाई गई, तो यह भारत के संसाधनों, सुरक्षा और सामाजिक संरचना पर भारी पड़ सकता है।
वोट जिहाद पार्ट 2:बिहार में 800 रुपये में स्थायी निवास प्रमाण पत्र
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