बैंक लॉकर में कीमती सामान रखना कई मायनों में फायदेमंद है। सबसे बड़ा लाभ है सुरक्षा—बैंक लॉकर 24 घंटे निगरानी, सीसीटीवी, और मजबूत सुरक्षा प्रणालियों से लैस होते हैं, जिससे चोरी, आग, या प्राकृतिक आपदाओं से सामान की हानि का खतरा न्यूनतम हो जाता है। घर में रखे गए गहने, महत्वपूर्ण दस्तावेज, या अन्य कीमती वस्तुओं की तुलना में लॉकर में ये सामान कहीं अधिक सुरक्षित रहते हैं। दूसरा लाभ है मानसिक शांति—ग्राहकों को यह चिंता नहीं रहती कि उनका सामान चोरी हो सकता है या खो सकता है। तीसरा, लॉकर में रखे गए सामान की गोपनीयता बनी रहती है, क्योंकि केवल लॉकर धारक ही इसे खोल सकता है। इसके अलावा, महत्वपूर्ण दस्तावेज जैसे प्रॉपर्टी पेपर, वसीयत, या बीमा पॉलिसी को लॉकर में रखने से वे नमी, कीड़े, या अन्य नुकसान से बचे रहते हैं। अंत में, लॉकर में रखे गए सामान को आसानी से व्यवस्थित किया जा सकता है, और जरूरत पड़ने पर तुरंत पहुंचा जा सकता है।
आरबीआई के नए लॉकर प्रबंधन नियम
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने हाल ही में बैंक लॉकर नियमों में संशोधन किया है, जो 1 जनवरी 2023 से प्रभावी हैं, लेकिन बैंकों को 2025 तक संशोधित लॉकर समझौतों को पूरी तरह लागू करने का निर्देश दिया गया है। इन नए नियमों, विभिन्न बैंकों के लॉकर शुल्कों की तुलना, कीमती सामान रखने के लाभ, और उन परिस्थितियों को इस लेख में शामिल किया गया है जिनमें बैंक प्रबंधक ग्राहक के लॉकर को खोल सकता है, साथ ही इस दौरान बरती जाने वाली सावधानियों का भी उल्लेख किया गया है।
आरबीआई के संशोधित नियमों के अनुसार, बैंकों को अपने ग्राहकों के साथ एक नया लॉकर समझौता करना अनिवार्य है। यह समझौता स्टाम्प पेपर पर होना चाहिए, और इसकी एक प्रति ग्राहक को दी जानी चाहिए। सभी मौजूदा लॉकर धारकों को 31 दिसंबर 2023 तक संशोधित समझौते पर हस्ताक्षर करने थे। बैंकों को स्टाम्प पेपर, फ्रैंकिंग, या इलेक्ट्रॉनिक स्टाम्पिंग की सुविधा प्रदान कर इस प्रक्रिया को आसान बनाना था। नियमों में यह भी कहा गया है कि लॉकर का उपयोग केवल वैध उद्देश्यों के लिए किया जा सकता है। इसमें अवैध सामान, खतरनाक पदार्थ, या ऐसी वस्तुएं जो दूसरों के लिए परेशानी का कारण बनें, रखना सख्त मना है। यदि लॉकर में नुकसान आग, चोरी, डकैती, या बैंक की लापरवाही के कारण होता है, तो बैंक जिम्मेदार होगा। ऐसी स्थिति में, बैंक को ग्राहक को लॉकर के वार्षिक किराए का 100 गुना मुआवजा देना होगा। उदाहरण के लिए, यदि वार्षिक किराया 5,000 रुपये है, तो मुआवजा 5,00,000 रुपये तक हो सकता है। लॉकर बंद करने पर कोई शुल्क नहीं लिया जाएगा, और शेष अवधि का अग्रिम किराया वापस कर दिया जाएगा। ग्राहकों को लॉकर तक पहुंच के लिए सामान्य बैंकिंग घंटों का पालन करना होगा, और लॉकर नंबर व समय दर्ज करना अनिवार्य है।
विभिन्न बैंकों के लॉकर शुल्क (2025)
विभिन्न बैंकों के लॉकर शुल्क लॉकर के आकार और स्थान (शहरी, अर्ध-शहरी, या ग्रामीण) पर निर्भर करते हैं। भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) में छोटे लॉकर का वार्षिक किराया शहरी क्षेत्रों में 1,500 रुपये से शुरू होता है, जबकि बड़े लॉकर के लिए 9,000 रुपये तक हो सकता है। एचडीएफसी बैंक में छोटे लॉकर का किराया 2,500 रुपये और बड़े लॉकर का 10,000 रुपये तक है। आईसीआईसीआई बैंक में यह किराया 2,000 रुपये से 12,000 रुपये तक है। भारतीय बैंक में छोटे लॉकर का किराया 1,200 रुपये से शुरू होता है, और बड़े लॉकर के लिए 8,000 रुपये तक है। एक्सिस बैंक और कैनरा बैंक में यह शुल्क क्रमशः 2,000-10,000 रुपये और 1,500-9,000 रुपये के बीच है। ग्रामीण क्षेत्रों में ये शुल्क आमतौर पर 20-30% कम होते हैं।
बैंक प्रबंधक द्वारा लॉकर खोलने की शर्तें और सावधानियां
आरबीआई के नियमों के अनुसार, बैंक प्रबंधक कुछ विशेष परिस्थितियों में ग्राहक के लॉकर को खोल सकता है। पहली स्थिति तब है जब लॉकर धारक किराया भुगतान में लगातार चूक करता है—यदि किराया 3 साल तक नहीं चुकाया जाता है, तो बैंक ग्राहक को कई नोटिस देने के बाद लॉकर को खोल सकता है। दूसरी स्थिति में, यदि ग्राहक की मृत्यु हो जाती है और नामांकित व्यक्ति (नॉमिनी) या कानूनी उत्तराधिकारी लॉकर का दावा करने के लिए आगे नहीं आते, तो बैंक कानूनी प्रक्रिया के बाद लॉकर खोल सकता है। तीसरी स्थिति में, यदि बैंक को संदेह है कि लॉकर में अवैध सामान रखा गया है, तो वह कानूनी अनुमति लेकर लॉकर खोल सकता है। इन सभी मामलों में, लॉकर खोलने से पहले ग्राहक को सूचित करना अनिवार्य है। सावधानियों के तौर पर, लॉकर खोलने की प्रक्रिया सीसीटीवी निगरानी में होनी चाहिए, और इस दौरान कम से कम दो बैंक कर्मचारी और एक स्वतंत्र गवाह मौजूद होने चाहिए। लॉकर की सामग्री की सूची बनाई जानी चाहिए, और उसकी वीडियो रिकॉर्डिंग करनी होगी ताकि पारदर्शिता बनी रहे।
आरबीआई के नए नियमों ने लॉकर प्रबंधन को अधिक सुरक्षित और पारदर्शी बनाया है। कीमती सामान को लॉकर में रखने से सुरक्षा, गोपनीयता, और मानसिक शांति जैसे लाभ मिलते हैं। लॉकर खोलने की प्रक्रिया में सख्त सावधानियां बरती जाती हैं ताकि ग्राहकों का भरोसा बना रहे। विभिन्न बैंकों के शुल्कों की तुलना से यह स्पष्ट है कि भारतीय बैंक और एसबीआई अपेक्षाकृत किफायती विकल्प प्रदान करते हैं, जबकि निजी बैंक जैसे एचडीएफसी और आईसीआईसीआई अधिक शुल्क लेते हैं। ग्राहकों को अपनी जरूरतों और बजट के अनुसार लॉकर का चयन करना चाहिए।