28 मई 2025 को हिंदी अखबारों ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान सटीक और विश्वसनीय रिपोर्टिंग कर अपनी साख को मजबूत किया। टाइम्स ऑफ इंडिया और द इकोनॉमिस्ट की रिपोर्ट्स के अनुसार, जहां टीवी चैनल गलत खबरें फैलाने में व्यस्त थे, वहीं हिंदी अखबारों ने तथ्यों की गहन जांच के बाद ही समाचार प्रकाशित किए। नवभारत टाइम्स, दैनिक भास्कर और अमर उजाला जैसे अखबारों ने भारत-पाकिस्तान सीमा पर तनाव, सैन्य कार्रवाइयों, और संघर्ष विराम की सटीक जानकारी दी। इन अखबारों ने स्थानीय सूत्रों, सरकारी बयानों और विशेषज्ञों के हवाले से खबरें दीं, जिससे पाठकों का भरोसा बढ़ा।
इस दौरान हिंदी अखबारों ने न केवल तथ्यात्मक खबरें दीं, बल्कि पाठकों को संदर्भ भी समझाया। उदाहरण के लिए, नवभारत टाइम्स ने ऑपरेशन सिंदूर के पीछे के भू-राजनीतिक कारणों पर एक विस्तृत लेख प्रकाशित किया। विशेषज्ञों का कहना है कि प्रिंट मीडिया की यह विश्वसनीयता दशकों की मेहनत और सख्त तथ्य-जांच प्रक्रिया का नतीजा है। प्रिंट मीडिया ने यह भी दिखाया कि वह डिजिटल युग में भी प्रासंगिक है, खासकर तब जब टीवी और सोशल मीडिया पर भ्रामक जानकारी की बाढ़ थी।
हालांकि, कुछ आलोचकों ने कहा कि प्रिंट मीडिया को और तेजी से खबरें देनी होंगी, क्योंकि डिजिटल प्लेटफॉर्म्स की तुलना में उनकी गति धीमी है। फिर भी, इस विश्वसनीयता ने हिंदी अखबारों को पाठकों का पसंदीदा स्रोत बनाया। कई पाठकों ने X पर लिखा कि वे अब टीवी चैनलों पर भरोसा नहीं करते और अखबारों से ही खबरें लेते हैं। यह खबर प्रिंट मीडिया के महत्व को रेखांकित करती है और दिखाती है कि सटीकता और विश्वसनीयता अभी भी पत्रकारिता की रीढ़ हैं।