28 मई 2025 को भारतीय टीवी चैनलों पर ऑपरेशन सिंदूर के दौरान फैलाई गई गलत खबरों की वजह से तीखी आलोचना हो रही है। टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत-पाकिस्तान सीमा पर तनाव के दौरान कई चैनलों ने सनसनीखेज और बिना तथ्यों की जांच की खबरें प्रसारित कीं। कुछ चैनलों ने दावा किया कि भारतीय वायुसेना के विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गए या सीमा पर बड़े हमले हुए, जो बाद में पूरी तरह गलत साबित हुए।
द इकोनॉमिस्ट ने इसे भारतीय टीवी पत्रकारिता में “मूर्खता की पराकाष्ठा” करार दिया, यह कहते हुए कि चैनलों ने सोशल मीडिया से भी आगे बढ़कर गलत जानकारी फैलाई। न्यूज़लॉन्ड्री की पत्रकार मनीषा पांडे ने इसकी आलोचना करते हुए कहा कि ऐसी गैर-जिम्मेदाराना पत्रकारिता से मीडिया की विश्वसनीयता पर गहरा संकट आ गया है।
इस घटना ने दर्शकों का भरोसा हिला दिया है। कई लोगों ने X पर अपनी नाराजगी जाहिर की, जिसमें एक यूजर ने लिखा, “टीवी चैनल अब खबरें नहीं, ड्रामा दिखाते हैं।” विशेषज्ञों का कहना है कि टीवी चैनलों की टीआरपी की होड़ ने उन्हें तथ्यों की अनदेखी करने के लिए मजबूर किया। इस दौरान कुछ चैनलों ने बिना सबूत के सैन्य कार्रवाइयों की झूठी खबरें चलाईं, जिससे लोगों में भय और भ्रम फैला।
इसके जवाब में, सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने चैनलों को नोटिस जारी करने की बात कही है। मीडिया नियामक संस्थानों से सख्त दिशानिर्देश लागू करने की मांग उठ रही है। कई पत्रकारों और बुद्धिजीवियों ने इस मौके पर पत्रकारिता के मूल सिद्धांतों की वापसी की वकालत की है। यह मुद्दा न केवल टीवी मीडिया की साख पर सवाल उठा रहा है, बल्कि यह भी बहस छेड़ रहा है कि संकट के समय में मीडिया की क्या भूमिका होनी चाहिए।