उत्तराखंड के बेहद चर्चित अंकिता भंडारी हत्याकांड पर कोर्ट का फैसला आ गया है और आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा दे दी गई है ।लेकिन यह हत्याकांड आज भी कई सुलगते हुए सवाल छोड़ गया है। मसलन अंकिता की हत्या होटल में की गई थी यह कहीं और क्या अंकिता के साथ जोर जबरदस्ती हुई थी, क्या शारीरिक शोषण हुआ था या उसे महज इस धंधे में धकेलने की कोशिश हो रही थी और उसने उसका विरोध किया था। हालांकि मेडिकल रिपोर्ट ने बलात्कार की पुष्टि नहीं की थी लेकिन फोरेंसिक विज्ञान के मुताबिक अगर शव तीन दिन से ज्यादा व पानी में रहता है तो बलात्कार के साक्ष्य जैसे वीर्य आदि नष्ट हो सकते हैं। अंकिता के माता-पिता इस कोर्ट के फैसले से खुश नहीं है उन्होंने कहा है कि वह फैसले के खिलाफ अपील करेंगे ताकि तीनों आरोपियों को मृत्यु दंड की मांग की जा सके। आईए अब आपको देते हैं इस केस की पूरी जानकारी:
30 मई 2025 को, कोटद्वार की एक जिला अदालत ने पुलकित आर्य, सौरभ भास्कर, और अंकित गुप्ता को अंकिता भंडारी की हत्या का दोषी ठहराया और उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई। यह मामला न केवल एक युवती की दुखद हत्या को दर्शाता है, बल्कि सत्ता और प्रभाव के दुरुपयोग के गंभीर सवाल भी उठाता है। अंकिता के परिवार को न्याय मिला, लेकिन इस मामले ने समाज में गहरे बैठे भ्रष्टाचार और शोषण पर चिंता जताई।
अंकिता भंडारी, 19 वर्षीय एक युवती, उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल जिले के डोभ-श्रीकोट गांव की रहने वाली थी। उसकी हत्या सितंबर 2022 में रिशिकेश के गंगा-भोगपुर में वनांत्रा रिसॉर्ट में हुई, जहां वह रिसेप्शनिस्ट के रूप में काम करती थी। इस मामले ने न केवल उत्तराखंड बल्कि पूरे देश में व्यापक आक्रोश पैदा किया, क्योंकि इसमें सत्ता, लालच और राजनीतिक प्रभाव की कथित संलिप्तता सामने आई। इस लेख में हम इस हत्याकांड के पीछे के मकसद, बलात्कार की संभावना, फॉरेंसिक रिपोर्ट के निष्कर्ष, और पानी में लंबे समय तक रहने से बलात्कार के साक्ष्यों पर पड़ने वाले प्रभाव पर चर्चा करेंगे।
मामला और राजनीतिक कोण
अंकिता भंडारी की हत्या का मुख्य आरोपी पुलकित आर्य है, जो वनांत्रा रिसॉर्ट का मालिक और एक पूर्व भाजपा नेता विनोद आर्य का बेटा है। इस मामले ने राजनीतिक विवाद को जन्म दिया, क्योंकि अंकिता के परिवार और कुछ सामाजिक कार्यकर्ताओं ने दावा किया कि हत्या में एक “प्रभावशाली वीआईपी” की संलिप्तता थी, जो कथित तौर पर सेक्स रैकेट से जुड़ा था। अंकिता की मां ने भी इस सिद्धांत का समर्थन किया, हालांकि चार्जशीट में किसी विशिष्ट वीआईपी का उल्लेख नहीं था। इसके बावजूद, विनोद आर्य की भाजपा से निकटता और उनकी बेटी रेणु बिष्ट, जो एक भाजपा विधायक हैं, द्वारा रिसॉर्ट के अवैध विध्वंस के आरोपों ने इस मामले को राजनीतिक रंग दे दिया। विनोद आर्य ने अपने बेटे का बचाव करते हुए उसे “सीधा-सादा लड़का” बताया, जिसने और विवाद को हवा दी। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मामले की गंभीरता को देखते हुए विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया और फास्ट-ट्रैक कोर्ट में सुनवाई का आदेश दिया।
हत्या का मकसद
पुलिस और चार्जशीट के अनुसार, अंकिता की हत्या का मकसद रिसॉर्ट प्रबंधन द्वारा उसे “विशेष सेवाएं” (यौन सेवाएं) प्रदान करने के लिए दबाव डालना था, जिसे उसने अस्वीकार कर दिया। अंकिता ने अपने दोस्त पुष्प को 18 सितंबर 2022 की रात को फोन पर बताया था कि रिसॉर्ट प्रबंधन उसे मेहमानों के लिए “विशेष सेवाएं” देने के लिए मजबूर कर रहा था। इसके बाद, उसी रात एक गरमागरम बहस के बाद, पुलकित आर्य, सौरभ भास्कर (रिसॉर्ट मैनेजर), और अंकित गुप्ता (सहायक मैनेजर) ने अंकिता को चीला नहर में धक्का दे दिया। यह नहर तेज धार वाली एक मानव-निर्मित सिंचाई नहर है, और जांचकर्ताओं का मानना था कि आरोपियों ने सोचा था कि अंकिता का शव कभी नहीं मिलेगा।
क्या हुआ बलात्कार या सामूहिक बलात्कार?
प्रारंभिक फॉरेंसिक जांच और एम्स, ऋषिकेश द्वारा जारी पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट ने बलात्कार या सामूहिक बलात्कार की संभावना को खारिज कर दिया। विसरल नमूनों की जांच में यौन उत्पीड़न के कोई सबूत नहीं मिले। हालांकि, अंकिता के माता-पिता और कुछ सामाजिक कार्यकर्ताओं ने दावा किया कि हत्या से पहले उसका बलात्कार हुआ था। यह दावा चार्जशीट में शामिल चैट और गवाहों के बयानों पर आधारित था, जो यह संकेत देते हैं कि अंकिता पर यौन सेवाएं देने का दबाव था। फिर भी, फॉरेंसिक साक्ष्य इस दावे का समर्थन नहीं करते।
हत्या और नहर में फेंकने का क्रम
चार्जशीट और आरोपियों के बयान के अनुसार, अंकिता को पहले मारने के बजाय जिंदा ही चीला नहर में धक्का दिया गया था। यह सुझाव देता है कि हत्या का इरादा उसे नहर की तेज धारा में डुबोकर मारना था। अंकिता का शव 24 सितंबर 2022 को नहर के बैराज से बरामद हुआ, जिससे यह पुष्टि हुई कि वह डूबने से मरी थी।
फॉरेंसिक साक्ष्य और पानी में रहने का प्रभाव
फॉरेंसिक विज्ञान के अनुसार, यदि कोई शव एक सप्ताह तक पानी में रहता है, तो बलात्कार के साक्ष्य, जैसे वीर्य, काफी हद तक नष्ट हो सकते हैं। पानी में लंबे समय तक रहने से वीर्य में मौजूद डीएनए क्षरण (degradation) के कारण नष्ट हो जाता है, खासकर तेज बहाव वाली नदियों या नहरों में, जहां ऑक्सीजन और बैक्टीरिया की उपस्थिति इस प्रक्रिया को तेज करती है। त्वचा या कपड़ों पर मौजूद वीर्य के नमूने पानी में घुल सकते हैं, और शव के सड़ने से ऊतकों का क्षय हो जाता है, जिससे यौन उत्पीड़न के सबूतों का पता लगाना मुश्किल हो जाता है। अंकिता का शव छह दिन बाद बरामद हुआ, जिसके कारण फॉरेंसिक जांच में बलात्कार के सबूत नहीं मिले, भले ही ऐसा कोई कृत्य हुआ हो।