असम के दार्जिलिंग जिला के एक किन्नर समुदाय से संबंध रखने वाली काजल किन्नर बांग्लादेशी घुसपैठी मुस्लिम किन्नरों की वजह से परेशान है। उन्होंने सरकार से आग्रह किया है कि अगर सरकार ने जल्द ही इन घुसपैठी किन्नरों पर लगाम नहीं लगाईं तो वह न केवल स्थानीय डेमोग्राफी बल्कि देश की सुरक्षा के लिए भी बड़ी चुनौती साबित हो सकते हैं।
“हम भारतीय हिजड़े हैं और भारत के लोगों पर निर्भर रहते आए हैं. हमें अपने देश से प्यार है जबकि पड़ोसी देश बांग्लादेश से घुसपैठ करके भारत में दाखिल होने वाले हिजड़े लूटपाट और अपराधिक गतिविधियों में संलिप्त है। वह हमें विस्थापित कर रहे हैं और देश की सुरक्षा के लिए खतरनाक है,” काजल किन्नर कहती हैं।
काजल बताती हैं कि बांग्लादेश से आए हिजड़े उन पर अत्याचार ढा रहे हैं जबकि पुलिस और प्रशासन आंखें मूंदे हुए हैं। उन्होंने कहा कि वह कोर्ट -कचहरियों के चक्कर काट कर थक चुके हैं लेकिन कहीं से कोई न्याय नहीं मिलता।
“स्थानीय पुलिस और गुंडे हमारे साथ मारपीट करते हैं। सिलीगुड़ी और उत्तर बंगाल के इलाकों में अब बांग्लादेशी मुस्लिम हिजड़ो का कब्जा हो चुका है। दार्जिलिंग, सिलीगुड़ी, जलपाईगुड़ी, अलीपुर, बालूघाट, गंगारामपुर, इस्लामपुर, समेत कई जगहों पर बांग्लादेशी हिज़डों के कब्ज़े हैं. अपराधिक प्रवृत्ति के बांग्लादेशी घुसपैठियों के पास अवैध हथियार हैं और वह बिना किसी डर के गोली चल देते हैं। वह हमारे डेरे में घुसकर हम पर हमला बोलते हैं मारपीट करते हैं और हमें भगा रहे हैं। डर के मारे लोग उनके खिलाफ आवाज नहीं उठाते,” काजल कहती हैं।
काजल के मुताबिक बांग्लादेशी मुसलमानों की अवैध घुसपैठ के साथ साथ भारत के पूर्वोत्तर राज्यों में एक और चुनौती सामने आ रही है। अब बांग्लादेशी मुसलमानों के अलावा बांग्लादेशी मुस्लिम हिजड़े भी स्थानीय लोगों , खासकर स्थानीय हिज़डों के लिए परेशानी का कारण बन रहे हैं।
अवैध मुसलमानों की तरह ही इन मुसलमान हिज़डों का असली मकसद भी डेमोग्राफी को प्रभावित करना है। पूर्वोत्तर के स्थानीय लोगों की जनसँख्या हाशिये पर जा रही है और मुस्लिम आबादी बढ़ रही है। मुस्लिम हिज़ड़े अब कई तरह के अपराधों में संलिप्त हैं।
अवैध बांग्लादेशी मुस्लिम किन्नर हिंदू किन्नर समुदाय को व्यवस्थित रूप से विस्थापित करने, जासूसी, सेक्स व्यापार और तस्करी जैसी आपराधिक गतिविधियों में शामिल होने के आरोपों ने राष्ट्रीय सुरक्षा और सीमा क्षेत्रों की स्थिरता के लिए गंभीर खतरा पैदा कर दिया है। ये किन्नर, जो अक्सर अवैध प्रवासी हैं, सिलीगुड़ी कॉरिडोर (“चिकन नेक”) जैसे भू-राजनीतिक रूप से संवेदनशील क्षेत्रों में आतंकवादियों को शरण देने और संगठित अपराध में लिप्त होने का दावा करते हैं, जिसे पश्चिम बंगाल पुलिस और स्थानीय अधिकारियों की मिलीभगत से संरक्षण मिल रहा है। इन गतिविधियों से भारत की संप्रभुता और सीमा सुरक्षा को खतरा है, जिसके लिए केंद्रीय एजेंसियों से तत्काल जांच की मांग उठ रही है।
हिंदू किन्नरों को बेदखल कर रहे हैं बांग्लादेशी हिज़ड़े
सिलीगुड़ी में काजल किन्नर द्वारा आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में हिंदू किन्नरों ने दावा किया कि बांग्लादेशी मुस्लिम किन्नर हिंसा और धमकियों के जरिए उन्हें सिलीगुड़ी, उत्तर बंगाल और दीनाजपुर जिलों से बेदखल कर रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि ये किन्नर जासूसी, सेक्स व्यापार और तस्करी (जैसे मानव तस्करी और मादक पदार्थ) में शामिल हैं, और स्थानीय पुलिस उनकी शिकायतों को दबाकर इन अपराधों को बढ़ावा दे रही है। काजल किन्नर ने यह भी दावा किया कि बांग्लादेशी किन्नर आतंकवादियों को सुरक्षित ठिकाने प्रदान कर रहे हैं, जो राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा है।
हाल की रिपोर्ट्स बांग्लादेशी किन्नरों की आपराधिक गतिविधियों की ओर इशारा करती हैं। मार्च 2025 में दिल्ली के जहांगीरपुरी में छह बांग्लादेशी किन्नरों को जाली दस्तावेजों के साथ गिरफ्तार किया गया, जो जेंडर परिवर्तन सर्जरी के बाद शादियों और ट्रैफिक सिग्नलों पर गतिविधियों में शामिल थे, संभवतः अन्य अपराधों को छिपाने के लिए।
हिंदुस्तान टाइम्स की एक ताज़ा रिपोर्ट के अनुसार, बांग्लादेशी लड़कियों को पश्चिम बंगाल के रास्ते मानव तस्करी के लिए लाया जाता है, जिसमें सेक्स व्यापार शामिल है, और यह संगठित नेटवर्क सीमा पर सक्रिय एजेंटों के माध्यम से संचालित होता है। बांग्लादेश में, कॉक्स बाजार जैसे क्षेत्रों से मानव तस्करी और मादक पदार्थों की तस्करी की खबरें सामने आई हैं, जिसमें हिजड़ा समुदाय भी प्रभावित है।
हाल ही छत्तीसगढ़ में एक बांग्लादेशी महिला की गिरफ्तारी हुई जो कोलकाता के सोनागाची में सेक्स व्यापार में शामिल थी, जो इन नेटवर्कों की व्यापकता को दर्शाता है। विशेषज्ञों का कहना है कि सिलीगुड़ी कॉरिडोर की भू-राजनीतिक संवेदनशीलता और अवैध प्रवासन से जनसांख्यिकीय बदलाव और सांप्रदायिक तनाव बढ़ रहे हैं, जिससे राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा है। इन आरोपों की पुष्टि के लिए तत्काल जांच जरूरी है, और एनआईए व बीएसएफ से किन्नर समुदाय की सुरक्षा और अपराधों की जांच की मांग की जा रही है।
बांग्लादेशी अवैध घुसपैठ का सामान्य तरीका अक्सर भारत में सीमा पार करने, मजदूरों के रूप में अस्थायी रोजगार हासिल करने, और फिर विभिन्न तरीकों से कानूनी निवास या नागरिकता प्राप्त करने की कोशिश करने से संबंधित है, जिसमें भूमि अतिक्रमण और दस्तावेज़ व पहचान प्राप्त करने के लिए भ्रष्ट अधिकारियों पर निर्भरता शामिल है। इसमें स्थानीय समुदायों का समर्थन हासिल करना, कानूनी व्यवस्था में खामियों का शोषण करना, और प्रवेश व रहने की सुविधा प्रदान करने वाले व्यक्तियों का नेटवर्क बनाना शामिल हो सकता है।