भारत में मई 2025 में भीषण गर्मी की लहर ने जनजीवन को प्रभावित किया है, खासकर मैदानी इलाकों में, जहां तापमान 45 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया है। मौसम विभाग ने चेतावनी दी है कि यह स्थिति अगले कुछ हफ्तों तक बनी रह सकती है। पानी की कमी, बढ़ते तापमान, और परिवार व काम की जिम्मेदारियों ने लोगों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। इस लेख में हम गर्मी (हीट स्ट्रोक/लू ) के शरीर और समाज पर प्रभाव, बच्चों और वृद्धजनों पर इसके खतरों, और इससे बचाव के उपायों पर विस्तार से चर्चा करेंगे।
हीट स्ट्रोक यानी लू क्या है , कैसे आपकी जान ले सकती है
गर्मी का सबसे गंभीर प्रभाव हीट स्ट्रोक के रूप में देखा जाता है, जो तब होता है जब शरीर का तापमान 40 डिग्री सेल्सियस से अधिक हो जाता है। इससे शरीर का तापमान नियंत्रण तंत्र विफल हो जाता है, जिसके परिणामस्वरूप सिरदर्द, चक्कर, मांसपेशियों में ऐंठन, उल्टी, और बेहोशी जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। गंभीर मामलों में, यह अंग विफलता (जैसे गुर्दे या हृदय) और मृत्यु का कारण बन सकता है। पानी की कमी (डिहाइड्रेशन) शरीर में इलेक्ट्रोलाइट्स (सोडियम, पोटैशियम) का संतुलन बिगाड़ देती है, जिससे थकान, कमजोरी, और रक्तचाप में उतार-चढ़ाव होता है। लंबे समय तक गर्मी में रहने से त्वचा पर रैशेज, सनबर्न, और हीट एग्जॉर्शन जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं। गर्मी से नींद में कमी, चिड़चिड़ापन, और मानसिक तनाव भी बढ़ता है, जो समग्र स्वास्थ्य को प्रभावित करता है।
दाल-रोटी कमाने के लिए झेलनी पड़ती है गर्मी
गर्मी की लहर ने समाज पर भी गहरा प्रभाव डाला है। पानी की कमी ने न केवल घरेलू उपयोग को प्रभावित किया है, बल्कि खेती पर भी असर डाला है। 2025 में कई राज्यों, जैसे राजस्थान, उत्तर प्रदेश, और मध्य प्रदेश, में पानी की आपूर्ति 40% तक कम हो गई है, जिससे किसानों की फसलें सूख रही हैं। इससे खाद्य पदार्थों की कीमतें बढ़ी हैं, और परिवारों पर आर्थिक बोझ बढ़ा है। मजदूर वर्ग, जो बाहर काम करता है, जैसे निर्माण कार्यकर्ता और रिक्शा चालक, सबसे अधिक प्रभावित हुए हैं। गर्मी के कारण उनकी उत्पादकता घटी है, और कई को हीट स्ट्रोक का शिकार होना पड़ा है। स्कूलों में गर्मी की छुट्टियां बढ़ाई गई हैं, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली की कमी के कारण बच्चों को ठंडक नहीं मिल पा रही। सामाजिक आयोजनों और त्योहारों पर भी असर पड़ा है, क्योंकि लोग दोपहर में बाहर निकलने से बच रहे हैं।
बच्चों और बुज़ुर्गों को हीट स्ट्रोक का ज्यादा खतरा
गर्मी की लहर ने भारत में शारीरिक, सामाजिक, और आर्थिक चुनौतियां पैदा की हैं। बच्चों और वृद्धजनों पर इसका प्रभाव अधिक गंभीर है। जागरूकता, सही भोजन, और प्राकृतिक उपायों से गर्मी के प्रभाव को कम किया जा सकता है। समय पर सावधानी और त्वरित कदम हीट स्ट्रोक जैसे खतरों से बचाव में मदद करेंगे। बच्चों और वृद्धजनों के लिए गर्मी की लहर अधिक खतरनाक है। बच्चों का शरीर तापमान नियंत्रण तंत्र पूरी तरह विकसित नहीं होता, जिसके कारण वे जल्दी डिहाइड्रेट हो जाते हैं। उनकी त्वचा पतली होती है, जिससे सनबर्न का खतरा अधिक होता है। वृद्धजनों में पसीना कम निकलता है, और पुरानी बीमारियां (जैसे मधुमेह, उच्च रक्तचाप) गर्मी के प्रभाव को बढ़ा देती हैं। उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है, जिससे वे हीट स्ट्रोक और अन्य बीमारियों के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं। 2025 में, स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि गर्मी से संबंधित बीमारियों के कारण अस्पतालों में भर्ती होने वाले मरीजों में 60% बच्चे और वृद्धजन हैं।
हीट स्ट्रोक होने पर तुरंत कदम
हीट स्ट्रोक के लक्षण (चक्कर, उल्टी, बेहोशी) दिखने पर तुरंत व्यक्ति को ठंडी, छायादार जगह पर ले जाएं। उसके शरीर पर ठंडा पानी छिड़कें या गीले कपड़े से पोंछें। पानी या ओआरएस पिलाएं, लेकिन बेहोशी की स्थिति में मुंह से कुछ न दें। तुरंत अस्पताल ले जाएं, क्योंकि यह जानलेवा हो सकता है। बच्चों और वृद्धजनों के लिए यह कदम तुरंत उठाना और भी जरूरी है।
शरीर के तापमान को नियंत्रित करने के उपाय
हाइड्रेशन: दिन में 3-4 लीटर पानी पिएं। नारियल पानी, नींबू पानी, छाछ, और ओआरएस शरीर में पानी और इलेक्ट्रोलाइट्स को संतुलित रखते हैं।
गर्मी के अनुकूल भोजन: खीरा, तरबूज, खरबूजा, संतरा, और दही जैसे पानी से भरपूर खाद्य पदार्थ खाएं। तले-भुने और मसालेदार भोजन से बचें।
उपयुक्त कपड़े: हल्के रंग के, ढीले, और सूती कपड़े पहनें, जो त्वचा को सांस लेने दें। टोपी या छाता का उपयोग करें।
प्राकृतिक ठंडक: सुबह और शाम के समय बाहर निकलें, और दोपहर में धूप से बचें। घर में पंखे, कूलर, और हवादार वातावरण बनाएं।
हल्का व्यायाम: सुबह या शाम को योग और हल्का व्यायाम करें, जो शरीर को तरोताजा रखे।