प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आलोचकों ने उनकी आलोचना में सारी हदें पार कर दीं और कई बार राष्ट्रीय हितों को भी नजरअंदाज किया। ऑपरेशन सिंदूर जैसे सैन्य अभियानों पर उनके बयानों ने न केवल भारत में विवाद पैदा किया, बल्कि पाकिस्तान को भारत के खिलाफ प्रचार करने का मौका भी दिया। पाकिस्तानी मीडिया और नेताओं ने इन बयानों को भारत के आंतरिक मतभेदों के रूप में पेश कर अपनी नाराजगी को हवा दी। जिन नेताओं और हस्तियों ने ऐसे बयान दिए, उनमें हिमाचल प्रदेश के कैबिनेट मंत्री चंदर कुमार, भोजपुरी लोक गायिका नेहा सिंह राठौर, जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक, कांग्रेस सांसद चरणजीत सिंह चन्नी, स्वामी प्रसाद मौर्य, यशवंत सिन्हा, और राहुल गांधी शामिल हैं।
हिमाचल प्रदेश के कृषि मंत्री चंदर कुमार ने ऑपरेशन सिंदूर पर सवाल उठाते हुए कहा, “सरकार को जवाब देना होगा कि क्या वाकई में आतंकवादी ठिकाने नष्ट हुए हैं।” उनके इस बयान ने बीजेपी को हमला करने का मौका दिया, जिन्होंने उन पर सेना की उपलब्धियों को कमतर करने का आरोप लगाया। पाकिस्तानी मीडिया ने इसे भारत की कमजोरी के रूप में प्रचारित किया।
भोजपुरी लोक गायिका नेहा सिंह राठौर ने सोशल मीडिया पर तीखी टिप्पणी करते हुए मोदी को “कायर” और “जनरल डायर” कहा। उन्होंने अपने एक पोस्ट में दावा किया, “मोदी सरकार पलवामा हमले की तरह पहलगाम हमले का इस्तेमाल वोट के लिए कर रही है।” उनके इस बयान के बाद वाराणसी में उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई, जिसमें उन पर सामाजिक अशांति फैलाने का आरोप लगा। पाकिस्तानी मीडिया ने उनके बयानों को भारत सरकार के खिलाफ प्रचार के लिए इस्तेमाल किया।
जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने एक साक्षात्कार में कहा, “पाकिस्तान हम पर हंस रहा है।” उन्होंने मोदी पर “कायरता” का आरोप लगाया और कहा कि उनके पास आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई की हिम्मत नहीं है। हालांकि, ऑपरेशन सिंदूर की सफलता के बाद, जिसमें 9 आतंकी ठिकाने नष्ट हुए और 100 से अधिक आतंकवादी मारे गए, मलिक ने कहा, “मैं भारतीय सेना के इस जोरदार प्रहार से प्रसन्न हूँ।” फिर भी, उनके शुरुआती बयानों को पाकिस्तान ने भारत के खिलाफ प्रचार के लिए इस्तेमाल किया।
कांग्रेस सांसद चरणजीत सिंह चन्नी ने 2019 के बालाकोट सर्जिकल स्ट्राइक पर सवाल उठाया, कहते हुए, “कोई नहीं जानता कि सर्जिकल स्ट्राइक कहाँ हुई, कोई सबूत नहीं मिला।” उनके बयान को बीजेपी ने सेना का अपमान बताया, और पाकिस्तानी मीडिया ने इसे भारत के आंतरिक मतभेदों के रूप में पेश किया।
समाजवादी पार्टी के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने सर्जिकल स्ट्राइक के सबूत मांगे, जिसे पाकिस्तानी सोशल मीडिया ने “सच्चाई की आवाज़” के रूप में प्रचारित किया। उन्होंने कहा, “सरकार को पारदर्शिता बरतनी चाहिए और जनता को सच बताना चाहिए।”
पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा ने पूछा, “क्या ये अभियान वास्तव में आतंकवाद को खत्म करने में प्रभावी रहा?” उनके बयानों को पाकिस्तान में भारत की कमजोरी के रूप में देखा गया।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने ऑपरेशन सिंदूर पर सबूत मांगकर विवाद खड़ा किया, कहते हुए, “यदि सरकार दावा करती है कि सर्जिकल स्ट्राइक हुई, तो इसके प्रमाण जनता के सामने रखे जाएँ।”
सैफुद्दीन सोज, मणिशंकर अय्यर, और दिग्विजय सिंह जैसे नेताओं ने भी सैन्य कार्रवाइयों पर सवाल उठाए, जिन्हें पाकिस्तानी मीडिया ने बढ़ावा दिया। इन बयानों ने भारत में यह सवाल उठाया कि क्या अपनी सरकार पर सवाल उठाना लोकतंत्र का हिस्सा है, या यह राष्ट्रीय हितों को कमजोर करता है? यह स्थिति पारदर्शिता और राष्ट्रीय एकता के बीच संतुलन की आवश्यकता को रेखांकित करती है।