ऑपरेशन सिंदूर ने भारत की आतंकवाद विरोधी प्रतिबद्धता को दर्शाया, लेकिन दोनों देशों को मानवीय और आर्थिक नुकसान हुआ। पाकिस्तान ने अधिक नुकसान की सूचना दी, लेकिन भारत की कार्रवाई अधिक लक्षित थी। चीन ने पाकिस्तान को सैन्य सहायता दी, जबकि अमेरिका ने मध्यस्थता का दावा किया, जिसे भारत ने खारिज किया। युद्धविराम के बाद दोनों देश सतर्क हैं, और अंतरराष्ट्रीय समुदाय शांति की वकालत कर रहा है। राफेल विवाद और परमाणु अफवाहें इस संघर्ष की जटिलता को दर्शाती हैं।
22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने, जिसमें 26 नागरिकों की जान गई, भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव को चरम पर पहुंचा दिया। इस हमले के जवाब में भारत ने 7 मई 2025 को ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया, जिसमें भारतीय वायुसेना ने राफेल विमानों और ब्रह्मोस मिसाइलों का उपयोग कर पाकिस्तान और पाकिस्तान-अधिकृत कश्मीर (PoK) में नौ आतंकी ठिकानों को नष्ट किया। यह लेख ऑपरेशन के दौरान हुए मानवीय और आर्थिक नुकसान, हताहतों की तुलना, परिणाम, विश्व शक्तियों (अमेरिका और चीन) की भूमिका, परमाणु स्थल पर हमले की अफवाहें, युद्धविराम के बाद दोनों देशों का मूड, अंतरराष्ट्रीय मीडिया की राय, और राफेल जेट सॉफ्टवेयर विवाद का विश्लेषण करता है।
नुकसान: मानव और आर्थिक
भारत का दृष्टिकोण: भारत ने दावा किया कि ऑपरेशन सिंदूर में 100 से अधिक आतंकवादी मारे गए, जिसमें जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा के प्रशिक्षण शिविर नष्ट किए गए। भारतीय सेना ने बताया कि 35-40 पाकिस्तानी सैनिक भी मारे गए। भारत ने नौ ठिकानों को निशाना बनाया, जिनमें स्कर्दू, जैकोबाबाद, सरगोधा, और भुलारी जैसे हवाई क्षेत्र शामिल थे। आर्थिक नुकसान की बात करें तो, पाकिस्तानी जवाबी हमलों में 15 नागरिक मारे गए, और जम्मू-कश्मीर में बुनियादी ढांचे को नुकसान पहुंचा। भारतीय प्रीमियर लीग (IPL) को एक सप्ताह के लिए निलंबित करना पड़ा, जिससे खेल उद्योग को लाखों रुपये का नुकसान हुआ।
पाकिस्तान का दृष्टिकोण: पाकिस्तान ने दावा किया कि भारत के हमलों में 31 नागरिक मारे गए, जिनमें मस्जिदों जैसे नागरिक क्षेत्र प्रभावित हुए। पाकिस्तान ने पांच भारतीय राफेल विमानों को मार गिराने का दावा किया, जिसे भारत ने खारिज किया। जवाबी कार्रवाई में पाकिस्तान ने ड्रोन हमले और सीमा पर गोलीबारी की, जिससे भारत में 15 नागरिकों की मौत हुई। आर्थिक रूप से, पाकिस्तान के हवाई क्षेत्रों और सैन्य बुनियादी ढांचे को भारी नुकसान हुआ, जिसे भारतीय मीडिया ने “तगड़ा झटका” बताया।
तुलना: पाकिस्तान ने अधिक नागरिक हताहत (31 बनाम भारत के 15) और सैन्य नुकसान (35-40 सैनिक) की सूचना दी, जबकि भारत ने आतंकवादियों (100+) पर जोर दिया। आर्थिक नुकसान में, पाकिस्तान को हवाई पट्टियों और सैन्य सुविधाओं की क्षति के कारण अधिक नुकसान हुआ। भारत की कार्रवाई अधिक लक्षित थी, जबकि पाकिस्तान की जवाबी कार्रवाई में नागरिक क्षेत्र प्रभावित हुए, जिससे उसका नुकसान अधिक प्रतीत होता है।
परिणाम और लक्षित स्थान
भारत ने ऑपरेशन सिंदूर में 24 मिसाइलों का उपयोग कर 25 मिनट में नौ आतंकी ठिकानों को नष्ट किया, जिनमें PoK और पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के मुरिदके में आतंकी मुख्यालय शामिल थे। पाकिस्तान ने जवाबी कार्रवाई में जम्मू-कश्मीर में ड्रोन हमले और पूंछ जिले में भारी गोलीबारी की, जिसमें 12 नागरिक मारे गए और 57 घायल हुए। 11 मई 2025 को दोनों देशों ने युद्धविराम की घोषणा की, जिसे भारत ने आतंकवाद के खिलाफ जीत और पाकिस्तान ने अपनी सैन्य एकता का प्रतीक बताया।
चीन और अमेरिका की भूमिका
चीन की भूमिका: ऑपरेशन सिंदूर के दौरान, भारतीय थिंक टैंक सेंटर फॉर जॉइंट वॉरफेयर स्टडीज ने खुलासा किया कि चीन ने पाकिस्तान को सैटेलाइट और हवाई रक्षा सहायता प्रदान की, जिसमें चीनी निर्मित HQ-9 वायु रक्षा प्रणालियों का उपयोग शामिल था। भारतीय वायुसेना ने इन प्रणालियों को जैम कर हमलों को सफल बनाया। चीन ने कूटनीतिक रूप से तटस्थता बनाए रखी, आतंकवाद की निंदा की, और भारत की कार्रवाई को “खेदजनक” बताया। युद्धविराम के बाद, चीन ने कथित तौर पर पाकिस्तानी मंत्रियों को युद्धविराम स्वीकार करने के लिए फटकार लगाई, क्योंकि इससे चीनी रक्षा कंपनियों को अरबों डॉलर के ऑर्डर की उम्मीद थी।
अमेरिका की भूमिका: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने दावा किया कि उन्होंने भारत-पाकिस्तान युद्धविराम में मध्यस्थता की, लेकिन भारत के विदेश मंत्रालय ने इसे खारिज करते हुए कहा कि यह एक द्विपक्षीय निर्णय था। ट्रम्प ने तनाव को कम करने की कोशिश की, लेकिन पहलगाम हमले का विशेष उल्लेख नहीं किया, बल्कि इसे भारत-पाकिस्तान संघर्ष के रूप में प्रस्तुत किया। अमेरिका ने नूर खान हवाई अड्डे पर हमले को लेकर चिंता जताई, जो पाकिस्तान की परमाणु योजना से जुड़ा है। निक्की हेली जैसे अमेरिकी नेताओं ने भारत के प्रतिशोध को उचित ठहराया, यह कहते हुए कि “पाकिस्तान को आतंकवाद का समर्थन करने की छूट नहीं मिलनी चाहिए।”
परमाणु स्थल और रेडिएशन की अफवाहें
पाकिस्तान ने दावा किया कि भारत ने किराना हिल्स परमाणु स्थल को निशाना बनाया, लेकिन भारत और अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) ने इन दावों को खारिज किया। IAEA ने पुष्टि की कि कोई रेडिएशन रिसाव नहीं हुआ, जिससे यह अफवाह निराधार साबित हुई। भारत ने स्पष्ट किया कि उसने सैन्य ठिकानों को निशाना नहीं बनाया, बल्कि आतंकी ढांचे पर ध्यान केंद्रित किया।
युद्धविराम के बाद मूड
भारत: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऑपरेशन सिंदूर को माताओं, बहनों और बेटियों को समर्पित करते हुए इसे आतंकवाद के खिलाफ जीत बताया। उन्होंने कहा, “भारत परमाणु ब्लैकमेल को बर्दाश्त नहीं करेगा।” युद्धविराम के बाद भारत सतर्क है, पाकिस्तान के व्यवहार पर नजर रख रहा है, और अपनी सेना को हाई अलर्ट पर रखा है।
पाकिस्तान: पाकिस्तान ने अपनी सैन्य और राजनीतिक एकता पर जोर दिया, दावा किया कि वह भारत के हमलों के बाद “मजबूत” हुआ है। हालांकि, आर्थिक नुकसान और सैन्य क्षति ने उसकी स्थिति को कमजोर किया है। युद्धविराम को स्वीकार करने पर चीन की नाराजगी ने पाकिस्तान की कूटनीतिक स्थिति को जटिल किया।
अंतरराष्ट्रीय मीडिया की राय
अंतरराष्ट्रीय मीडिया ने ऑपरेशन सिंदूर को परमाणु निहितार्थों के साथ एक खतरनाक वृद्धि के रूप में देखा। CNN ने दोनों पक्षों के परस्पर विरोधी दावों पर ध्यान दिया, जबकि BBC ने तथ्यात्मक रिपोर्टिंग पर जोर दिया। न्यूयॉर्क टाइम्स ने भारत की कार्रवाई को “प्रतिशोध की जीत” बताया, जबकि पाकिस्तानी मीडिया ने भारत को “अनुचित आक्रामक” के रूप में चित्रित किया। यूरोपीय और एशियाई मीडिया ने सैन्य क्षमताओं और क्षेत्रीय स्थिरता पर चर्चा की। कुछ ने भारत की रणनीतिक स्पष्टता की प्रशंसा की, जबकि अन्य ने युद्धविराम को दोनों देशों के लिए राहत बताया।
क्या पाकिस्तान युद्ध को बनाए रख सकता है?
पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पहले से ही कमजोर है, और ऑपरेशन सिंदूर से हवाई क्षेत्रों और बुनियादी ढांचे को हुए नुकसान ने इसकी स्थिति को और कमजोर किया। द डिप्लोमैट के अनुसार, युद्ध ने पाकिस्तान को एकजुट किया, लेकिन दीर्घकालिक युद्ध को बनाए रखना उसकी आर्थिक स्थिति और सीमित गोला-बारूद के कारण असंभव है।
राफेल जेट सॉफ्टवेयर विवाद
पाकिस्तान ने दावा किया कि उसने चीनी निर्मित J-10C विमानों और HQ-9 वायु रक्षा प्रणालियों से पांच भारतीय राफेल विमानों को मार गिराया। CNN ने एक फ्रांसीसी खुफिया अधिकारी के हवाले से एक राफेल के नुकसान की पुष्टि की, जो इसका पहला युद्ध नुकसान था। भारत ने इन दावों का खंडन किया। न्यू ज़्यूरिखर ज़ाइटुंग ने बताया कि भारत को राफेल के उन्नत सॉफ्टवेयर तक पूर्ण पहुंच नहीं मिली, जिसके कारण ऑपरेशन में लक्ष्य को जल्दी और बिना नुकसान के नष्ट करने में कथित तौर पर विफलता हुई। यह पश्चिमी सैन्य तकनीकों की विश्वसनीयता पर सवाल उठाता है।