- फॉलोअर्स और व्यूज बटोरने की होड़ में कई इन्फ्लुएंसर्स अपनी सीमाएं लांघ रही हैं
-
कपड़े उतारना, अश्लील बातें करना, अश्लील कपड़े पहनना, अर्धनग्न होकर वीडियो बनाना, अश्लील नृत्य, गंदी गालियां बकना, —ये सारी चीजें अब आम हो चली हैं
-
पंजाब की विवादित सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर कंचन कुमारी उर्फ़ कमल कौर की हत्या इस बात का उदहारण है कि अश्लील कंटेंट सबको पसंद नहीं
पिछले कुछ सालों में सोशल मीडिया पर भारतीय महिला प्रभावशाली (इन्फ्लुएंसर) चर्चा का विषय बन गई हैं। फॉलोअर्स और व्यूज बटोरने की होड़ में कई प्रभावशाली अपनी सीमाएं लांघ रही हैं। कपड़े उतारना, अश्लील बातें करना, अश्लील कपड़े पहनना, अर्धनग्न होकर वीडियो बनाना, अश्लील नृत्य, गंदी गालियां बकना, और यहां तक कि ब्लैकमेल और देह-व्यापार जैसे कदम उठाना—ये सारी चीजें अब आम हो चली हैं। एक दिन पहले उत्तर प्रदेश के पिलखुवा से खबर आई थी कि पत्नी निशा ने इंस्टाग्राम फॉलोअर्स कम होने के बाद पति के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। अब पंजाब के बठिंडा से एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है, जहां विवादित सोशल मीडिया प्रभावशाली कमल कौर, जिनका असली नाम कंचन कुमारी है, की हत्या हो गई।
कमल कौर सोशल मीडिया पर अपने विवादास्पद पोस्ट्स के लिए जानी जाती थीं। उनके यूट्यूब चैनल पर 2.36 लाख सब्सक्राइबर, इंस्टाग्राम पर 3.84 लाख फॉलोअर्स और फेसबुक पर 1.74 लाख फॉलोअर्स थे। उनकी लोकप्रियता बोल्ड और अश्लील वीडियो पर टिकी थी, जिसमें अभद्र भाषा, नग्नता, और उत्तेजक कंटेंट शामिल था। यह कंटेंट एक खास वर्ग को तो आकर्षित करता था, लेकिन दूसरों की नाराजगी का कारण भी बना। पिछले साल अक्टूबर में कनाडा में रह रहे खालिस्तानी गैंगस्टर अर्श डल्ला ने उन्हें गंदे वीडियो बनाने पर गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी दी थी, जिसे अब उनकी हत्या से जोड़ा जा रहा है।
सवाल उठता है कि फॉलोअर्स के लिए महिला प्रभावशाली कितनी दूर जा सकती हैं? सोशल मीडिया पर शहरी से लेकर ग्रामीण महिलाएं व्यूज और लाइक्स के लिए अश्लील बातें करना, अश्लील कपड़े पहनना, अर्धनग्न होकर वीडियो बनाना, अश्लील नृत्य करना, गंदी गालियां बकना, और ब्लैकमेल या देह-व्यापार जैसे कदम उठाने से नहीं हिचक रही हैं। कमल कौर भी ऐसी ही वीडियो बनाती थीं, जिससे पंजाब का एक बड़ा वर्ग नाराज था। उनकी इस जीवनशैली ने उन्हें फेमस तो बनाया, लेकिन दुश्मन भी पैदा किए।
क्या सोशल मीडिया पर इस तरह के कंटेंट पर पाबंदी लगनी चाहिए? सोशल मीडिया कंपनियां ऐसा कंटेंट क्यों बर्दाश्त करती हैं, जो सार्वजनिक तौर पर अस्वीकार्य है? कमल कौर की हत्या के बाद कई लोग सख्त नीति की मांग कर रहे हैं। कुछ व्यक्तिगत आजादी और अभिव्यक्ति के अधिकार की बात करते हैं, लेकिन जब यह आजादी दूसरों की भावनाओं को ठेस पहुंचाती है या हिंसा को जन्म देती है, तो क्या यह जायज है?
कमल कौर की कहानी सोशल मीडिया की दोहरी तस्वीर दिखाती है। एक ओर वे लाखों फॉलोअर्स के साथ सफल थीं, दूसरी ओर उनकी विवादास्पद छवि ने उनकी जिंदगी खतरे में डाल दी। निशा की शिकायत और कमल कौर की हत्या इस अंधी दौड़ की खतरनाक सच्चाई को उजागर करती हैं। पुलिस जांच में संगठित गिरोह की संलिप्तता और सीसीटीवी फुटेज की जांच जारी है। सोशल मीडिया पर लोग उन्हें श्रद्धांजलि दे रहे हैं, लेकिन बहस भी तेज हो गई है। क्या समय आ गया है कि कंटेंट पर नियंत्रण के लिए सख्त कदम उठाए जाएं, या यह व्यक्तिगत पसंद का मामला रहेगा? यह सवाल आने वाले दिनों में और गहराएगा।